Sunday, April 11, 2010

भारत की सरकार

भारत की सरकार


भारत सरकार
भारत सरकार, जो आधिकारिक तौर से संघीय सरकार व आमतोर से केन्द्रीय सरकार के नाम से जाना जाता है, 28 राज्यों तथा सात केन्द्र शासित प्रदेशों के संघीय इकाई जो संयुक्त रुप से भारतीय गणराज्य कहलाता है, की नियंत्रक प्राधिकारी है. भारतीय संविधान द्नारा स्थापित भारत सरकार नई दिल्ली, से कार्य करती है.
भारत के नागरिकों से संबंधित बुनियादी दीवानी और फौजदारी कानून जैसे नागरिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय दंड संहिता, अपराध प्रक्रिया संहिता, आदि मुख्यतः संसद द्नारा बनाया जाता है. संघ और हरेक राज्य सरकार तीन अंगो कार्यपालिका,विधायिका व न्यायपालिका के अन्तर्गत काम करती है. संघीय और राज्य सरकारों पर लागू कानूनी प्रणाली मुख्यतःअंग्रेजी साझा और वैधानिक कानूनपर आधारित है. भारत कुछ अपवादों के साथ अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्याय अधिकारिता को स्वीकार करता है. स्थानीय स्तर पर पंचायती राज प्रणाली द्वारा शासन का विकेन्द्रीकरण किया गया है.
भारत का संविधान भारत को एक सार्वभौमिक, समाजवादी गणराज्य की उपाधि देता है । भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली के संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है । इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं: न्यायपालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका ।


सांवैधानिक विशेषता
सविंधान के प्रस्तावना के अनुसार भारत एक सम्प्रुभतासम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्यहै.
सम्प्रुभता
सम्प्रुभता शब्द का अर्थ है सर्वोच्च या स्वतंत्र.
भारत किसी भी विदेशी और आंतरिक शक्ति के नियंत्रण से पूर्णतः मुक्तसम्प्रुभतासम्पन्न राष्ट्र है. यह सीधे लोगों द्वारा चुने गए एक मुक्त सरकार द्वारा शासित है तथा यही सरकार कानून बनाकर लोगों पर शासन करती है.
समाजवादी
समाजवादी शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया. यह अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है. जाति, रंग, नस्ल, लिंग, धर्म या भाषा के आधार पर कोई भेदभाव किए बिना सभी को बराबर का दर्जा और अवसर देता है. सरकार केवल कुछ लोगों के हाथों में धन जमा होने से रोकेगी तथा सभी नागरिकों को एक अच्छा जीवन स्तर प्रदान करने की कोशिश करेगी.
भारत ने एक मिश्रित आर्थिक मॉडल को अपनाया है. सरकार ने समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई कानूनों जैसे अस्पृश्यता उन्मूलन, जमींदारी अधिनियम, समान वेतन अधिनियम और बाल श्रम निषेध अधिनियम आदि बनाया है.
धर्मनिरपेक्ष
धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान के 1976 में हुए 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में जोड़ा गया. यह सभी धर्मों की समानता और धार्मिक सहिष्णुता सुनिश्चीत करता है.
भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है. यह ना तो किसी धर्म को बढावा देता है, ना ही किसी से भेदभाव करता है. यह सभी धर्मों का सम्मान करता है व एक समान व्यवहार करता है. हर व्यक्ति को अपने पसन्द के किसी भी धर्म का उपासना, पालन और प्रचार का अधिकार है. सभी नागरिकों, चाहे उनकी धार्मिक मान्यता कुछ भी हो कानून की नजर में बराबर होते हैं. सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूलों में कोई धार्मिक अनुदेश लागू नहीं होता.
लोकतांत्रिक
भारत एक स्वतंत्र देश है, किसी भी जगह से वोट देने की आजादी, संसद में अनुसूचित सामाजिक समूहों और अनुसूचित जनजातियों को विशिष्ट सीटें आरक्षित की गई है. स्थानीय निकाय चुनाव में महिला उम्मीदवारों के लिए एक निश्चित अनुपात में सीटें आरक्षित की जाती है. सभी चुनावों में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का एक विधेयक लम्बित है. हांलाकि इसकी क्रियांनवयन कैसे होगा, यह निश्चित नहीं हैं. भारत का चुनाव आयोगस्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए जिम्मेदार है।

गणराज्य
राजशाही, जिसमें राज्य के प्रमुख वंशानुगत आधार पर एक जीवन भर या पदत्याग करने तक के लिए नियुक्त किया जाता है, के विपरित एक गणतांत्रिक राष्ट्र के प्रमुख एक निश्चित अवधि के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जनता द्वारा निर्वाचित होते है.
भारत के राष्ट्रपति पांच वर्ष की अवधि के लिए एक चुनावी कॉलेज द्वारा चुने जाते हैं।

प्रमुख
राष्ट्रपति,जो कि राष्ट्र का प्रमुख है, की अधिकांशतः औपचारिक भूमिका है। उसके कार्यों में संविधान का अभिव्यक्तिकरण, प्रस्तावित कानूनों (विधेयक) पर अपनी सहमति देना, और अध्यादेश जारी करना । वह भारतीय सेनाओं का मुख्य सेनापति भी है । राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को एक अप्रत्यक्ष मतदान विधि द्वारा ५ वर्षों के लिये चुना जाता है । प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियां उसी के पास होती हैं । इसका चुनाव राजनैतिक पार्टियों या गठबन्धन के द्वारा प्रत्यक्ष विधि से संसद में बहुमत प्राप्त करने पर होता है । बहुमत बने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल ५ वर्षों का होता है । संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है ।
व्यवस्थापिका
व्यवस्थापिका
संसद को कहते हैं जिसके दो सदन हैं - उच्चसदन राज्यसभा,और निम्नसदन लोकसभा। राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं जबकि लोकसभा में ५५२ । राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव, अप्रत्यक्ष विधि से ६ वर्षों के लिये होता है, जबकि लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से, ५ वर्षों की अवधि के लिये। १८ वर्ष से अधिक आयु के सभी भारतीय नागरिक मतदान कर लोकसभा के सदस्यों का चुनाव कर सकते हैं ।
कार्यपालिका
कार्यपालिका के तीन अंग हैं - राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और
मंत्रिमंडल । मंत्रिमंडल का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है । मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद का सदस्य होना अनिवार्य है । कार्यपालिका, व्यवस्थापिका से नीचे होता है ।
न्यायपालिका
भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष
सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका प्रमुख प्रधान न्यायाधीश होता है । सर्वोच्च न्यायालय को अपने नये मामलों तथाउच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है । भारत में २१ उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं । न्यायपालिका और व्यवस्थापिका के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह राष्ट्रपति करता है ।
शीर्षक
संघ और राज्य
भारत की शासन व्यवस्था केन्द्रीय और राज्यीय दोनो सिद्धांतो का मिश्रण है। लोकसभा, राज्यसभा सर्वोच्च न्यायालय की सर्वोच्चता,
संघ लोक सेवा आयोग इत्यादि इसे एक संघीय ढांचे का रूप देते हैं तो राज्यों के मंत्रीमंडल, स्थानीय निकायों की स्वायत्ता इत्यादि जैसे तत्व इसे राज्यों से बनी शासन व्यवस्था की ओर ले जाते हैं। प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होता है जो राष्ट्रपति द्वारा ५ वर्षों के लिए नियुक्त किये जाते हैं

द्वारा बनाया - मिलिंद चक्रवर्ती

मैं छठी कक्षा में अध्ययन कर रहा हूँ

मैं 11 साल का हूँ